हर
दिन हम सभी टालमटोल की समस्या से परेशान रहते हैं। कार्यालय का काम हो या घर का काम
हम टालते जाते हैं और आगे चलकर यही काम हमारे लिए सरदर्द बन जाता है। फिर हम खुद
को कोसने लगते हैं कि आखिर ये काम मैंने पहले ही क्यों नहीं निपटा दिया था। अगर
ऐसी समस्या का सामना आप भी करते हैं तो घबराइए मत दुनिया में एकलौता आप ही नहीं
हैं जिसके साथ यह समस्या है। दुनिया का हर व्यक्ति प्राय: ऐसी समस्या से अक्सर
जूझते हैं। इस समस्या का परमानेंट कोई समाधान तो नहीं है किन्तु अपने प्रयासों
द्वारा आप इसे काफी हद तक कम अवश्य कर सकते हैं।
इस
समस्या से निपटना कोई सरल काम नहीं है परंतु, असम्भव भी नहीं है. आप
अगर कुछ छोटी-छोटी चीजों को आत्मसात कर लेंगे तो इस समस्या से बहुत हद तक निजात
मिल जाएगी. आइए तो जानते हैं इसके लिए आप क्या कर सकते हैं. आप ही नहीं इसका
प्रयोग अपने जीवन में मैं खुद करता हूं.
कार्यों को
छोटे-छोटे हिस्सों में बांटें – आपने भी नोटिस किया होगा कि अक्सर हम कामों का टालमटोल तभी करते हैं जब
हमारे सामने कोई कठिन अथवा बडा काम होता है. छोटे-छोटे कामों को तो बड़ी आसानी से
निपटा देते हैं किंतु, जैसे ही हमारे सामने कोई उलझन पैदा करने वाला काम आता है
हम उसे टालने लगते हैं और आगे चलकर वही हमारे लिए सिरदर्द बन जाता है. किसी
व्यक्ति ने एक विद्वान से पूछा कि अगर आपको खाने के लिए हाथी दे दिया जाएगा तो आप
उसे कैसे खाएंगे. उस विद्वान पुरुष ने बड़ी सहजता से जवाब दिया कि यह तो बहुत सरल
है, मैं हाथी को छोटे-छोटे टुकड़े कर खा जाऊंगा. यहां कहने का
तात्पर्य यह है कि आप भी अपने जटिल कामों के साथ यही रवैय्या अपना सकते हैं,
अर्थात जटिल कामों को छोटे-छोटे टुकड़ों में विभाजित कर दें तो वह
काम आपके लिए बहुत आसान हो जाएगा और आप टालमटोल की बुरी आदत से बच जाएंगे.
कार्यस्थल
के माहौल में बदलाव करें – अगर आपके कार्यस्थल बहुत अस्त-व्यस्त रहता है तो
आपके कार्य पर यह बुरा असर डालेगा। इसीलिए सर्वप्रथम आप अपने कार्यस्थल को
व्यवस्थित करें। अनावश्यक फाइल अथवा वस्तुएँ वहाँ से हटा दें। कम से कम वस्तुओं को
अपने आस-पास रखें जिसके आपका मन भटकाव कम हो जाएगा और आपकी कार्यक्षमता में वृद्धि
होगी। पता करें कि आप कार्यस्थल पहुँचकर खुद को ऊर्जावान महसूस करते हैं अथवा वहाँ
आपको नींद आने लगती है ? हर व्यक्ति की कार्यक्षमता अगल-अलग समय में बेहतर होती है। कोई
सुबह का वक्त बेहतर कार्यक्षमता का प्रदर्शन कर सकते हैं, कोई दोपहर तो कोई रात के
वक्त. इसीलिए अपने सुविधानुसार आप समय का चयन करें और कठिन लगने वाले कार्यों को
उसी वक्त करने का प्रयास करें जब आप खुद को सर्वाधिक प्रोडक्टिव महसूस करते हैं.
किसी
भी कार्य का डेडलाइन तय करें – किसी कार्य विशेष को हमें करना है यह बात तो
हमारे दिमाग में होती है किंतु, कार्य करने की कोई डेडलाइन हमारे पास नहीं होती है
और हम उसे अपने सुविधानुसार आगे के लिए टालते जाते हैं. इसीलिए जब भी आपके दिमाग
में कोई कार्य करने का विचार आता है तो सर्वप्रथम आप उस कार्य के लिए एक टाइमलाईन
के साथ - साथ एक डेडलाइन भी तय कर लें और उसी के अनुरूप अपना कार्य आरम्भ कर दें.
अगर कोई दीर्घकालीन कार्य है जिसे पूरा होने में साल भर का समय लग जाएगा तो ऐसे
कार्यों को आप छमाही, तिमाही, मासिक, साप्ताहिक और दैनिक लक्ष्य के आधार पर
छोटे-छोटे भागों में विभाजित कर दें. आप केवल दैनिक लक्ष्य पर ही अपना फोकस रखें
और इस प्रकार बिना अतिरिक्त परिश्रम के आप अपना आगे के सभी लक्ष्यों को हासिल कर
सकते हैं.
अपनी
योजना का प्रचार करें – अक्सर हम किसी कार्य की योजना बनाते हैं और उस
योजना को अपने तक ही सीमित रखते हैं। जब उस कार्य से जुड़ी हुई चुनौतियाँ हमारे
सामने आती हैं तो हम उस कार्य को करने में टालमटोल करने लगते हैं। इस समस्या से
लड़ने का एक आसान-सा उपाय यह है कि आप उस योजना को अपने दोस्तों के साथ, व्हाट्सेप, फेसबुक इत्यादि सोशल
मीडिया में शेयर करें जिससे आप के साथ-साथ आपकी योजना से आपके दोस्त तथा
प्रतिद्वंद्वी भी वाकिफ हो जाएंगे। परिणाम यह होगा कि बीच-बीच में आपके दोस्त आपसे
उस योजना के बारे में पूछेंगे और प्रतिद्वंद्वी को योजना पूरा नहीं होने पर आपको
नीचा दिखाने का एक और साधन मिल जाएगा। इस प्रकार उस योजना को हर हाल में पूरा करने
की चुनौती आपके सामने होगी और आप उसके प्रति ज्यादा जागरूक और सतर्क रहेंगे। मेरी
पहली किताब ‘अलबेलिया’ प्रकाशित होने के बाद मैंने अगली किताब ‘लव कनैक्शन’ पर कार्य आरंभ कर दिया है
और इस योजना को अपने दोस्तों के साथ, अपने सहकर्मियों के साथ और आपके साथ भी शेयर कर
रहा हूँ, जिससे मैं अपनी इस योजना को पल भर के लिए भी विस्मृत नहीं कर
पाऊँगा। इस पुस्तक को अगले साल जून तक प्रकाशित करवाने का मेरा लक्ष्य है, अगर ऐसा नहीं हुआ तो आप
भी मुझे प्रश्नों के घेरे में ला सकते हैं।
योजना
से संबन्धित व्यक्ति की तलाश करें
– हम जो भी कार्य आरंभ करते हैं, उससे जुड़े हुए व्यक्ति अर्थात उस क्षेत्र में
सफलता प्राप्त कर चुके व्यक्ति के बारे में पढ़ें, उससे जुड़ी अधिकाधिक जानकारियाँ हासिल करें और अगर संभव
हो तो वैसे व्यक्ति से खुद जाकर मिलें और अपनी योजना से संबन्धित जानकारियाँ
प्राप्त करें। अगर आप एक आईएएस अधिकारी बनाना चाहते हैं तो सिविल सेवा में सफलता
प्राप्त कर चुके व्यक्ति के साक्षात्कार पढ़ें, उनकी राहों में आने वाली चुनौतियों को जाने और
उनसे निपटने के लिए उस व्यक्ति द्वारा अपनाई गई रणनीति को समझें। इससे आपको उस
क्षेत्र विशेष की वृहद जानकारी हासिल हो जाएगी और उसके मुताबिक खुद को तैयार करने
की मानसिकता खुद ब खुद बन जाएगी।
लक्ष्य
पर पुनर्विचार करें – अगर
आप एक लंबी अवधि से किसी कार्य को टालते आ रहे हैं तो इससे यही मतलब निकाला जा
सकता है कि आप वर्तमान में जो कार्य कर रहे हैं और आप वास्तव में जो करना चाहते
हैं इन दोनों के बीच बड़ा फर्क है। आप उस कार्य को नहीं कर पा रहे हैं जो आप वास्तव
में करना चाहते हैं। अगर ऐसी बात है तो आप तुरंत कार्य करना बंद कर दें और कुछ
दिनों का उस कार्य से अवकाश ले लें। आप घूमने के लिए किसी मनचाहा जगह चले जाएँ।
अवकाश के बाद आप पूरी तरह रिफ्रेश हो जाएंगे फिर आप खुद से चंद सवाल करें – आप
वास्तव में क्या चाहते हैं ? उसे हासिल करने के लिए आपको क्या करना चाहिए ? इसके लिए क्या कदम उठाया
जाना चाहिए ? क्या आपका वर्तमान कार्य आपको उसी दिशा में आगे ले जा रहा है ? अगर नहीं, तो फिर उसमें क्या बदलाव
किया जाना चाहिए ? इस प्रकार के सवालों से आप अपने वास्तविक लक्ष्य को जान जाएंगे
और वर्तमान कार्य को अपने लक्ष्य से जोड़ने में मदद मिलेगी।
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