अक्सर
यह कहते हुए हम सुने जाते हैं कि बूंद-बूंद से घड़ा भरता है अर्थात किसी भी महान
कार्य की शुरुआत हमेशा छोटे स्केल से ही होता है। यह उक्ति बिलकुल सही है और अपने
इस छोटे से आकार में इसने सफलता का एक गहन रहस्य समेटा हुआ है। इस लोकप्रिय उक्ति
से लगभग हर कोई परिचित ही है। किन्तु इसमें समाई हुई सफलता के रहस्य का लाभ बहुत
कम ही लोग उठा पाते हैं।
बूंद
बूंद की ताकत के सैद्धान्तिक रूप से भले ही हम सभी वाकिफ है परंतु इसके व्यावहारिक
पक्ष से हम बिलकुल अनजान होते हैं। बूंद बूंद से घड़ा भरता है – यह कथन कई बार
हमारे मन मस्तिष्क से गुजर चुका होता है। इसे हम स्कूल के दिनों में किताबों में
पढ़ते हैं या फिर यही चीज शिक्षकों द्वारा पढ़ाए जाते हैं। जब हम बड़े हो जाते हैं तो
यही कथन हम अपने बच्चों को बतलाते हैं। और इसी तरह पीढ़ी दर पीढ़ी इस ज्ञान का
हस्तानांतरण होता जाता है और दुनिया मस्त अपनी गति से चलती रहती है।
लेकिन
सबसे अहम बात यह है कि इस शाश्वत ज्ञान रूपी कथन को व्यावहारिक धरातल पर उतारेगा कौन।
इस कथन में निहित अमोक्ष ज्ञान का लाभ आखिर कौन उठाएगा ? क्या इसके लिए भी प्रकृति
हमारे सामने कोई सगुण लेकर आएगी और कहेगी – अब इस कथन को सर्वसम्मति से लॉंच किया
जाता है और इसका लाभ आप सभी अपने अपने क्षेत्र विशेष में उठा सकते हैं। क्या आप
ऐसी ही उम्मीद मन में पाले बैठे हैं ? अगर आपका जवाब हाँ है तो माफ करिएगा वह शुभ अवसर
कभी नहीं आने वाला है। और अगर आपका जवाब ना है तो फिर देर किस बात की अभी से ही
तैयार हो जाइए इस बूंद बूंद की ताकत का लाभ उठाने के लिए।
यहाँ
मैं कुछ छोटे छोटे कदमों का जिक्र करूंगा जिसे अपना कर आप भी अपने जीवन में
चमत्कारिक बदलाव ला सकते हैं।
परिवर्तन प्रकृति का नियम – परिवर्तन प्रकृति का अखंड नियम है जिसे बदलने की परिकल्पना ही मूर्खता
है। इस नियम के साथ हम भी उतने ही शिद्दत के साथ बंधे हुए हैं जितना कि प्रकृति के
अन्य अवयव। आपने भी अपने जीवन में अक्सर अनुभव किया होगा कि आप मानसिक तथा
शारीरिक रूप से तभी शिथिल या निरुत्साहित अनुभव करते हैं जब आपकी जीवनशैली एक ही
तरह की होकर रह जाती है। उसमें कोई नयापन, कोई बदलाव नहीं होता है। ऐसा होना स्वाभाविक है क्योंकि यह
प्रकृति के नियम का प्रतिकूल है।
इसीलिए अपने जीवन में नित नए परिवर्तन लाएँ और सदैव तरोताजा महसूस करते हुए आनंदमय
तरीके से जीवन के इस सफर को तय कर लें।
आंशिक बदलाव –
अपनी आदत, नीरस हो चुकी जीवनशैली में बदलाव लाने की कल्पना
तो लगभग सभी लोग कर लेते हैं मगर समस्या तब आती है जब हम इसे व्यावहारिक धरातल पर
उतारने का प्रयास करते हैं। हम दृढ़ संकल्प कर पूरे दम खम के साथ इसे बदलने में जुट
जाते हैं और फिर कुछ दिनों के बाद इसे बहुत ही कठिन मानकर दरकिनार कर देते हैं और
पुनः अपनी पुरानी आदत में घरवापसी कर लेते हैं। इसीलिए मेरा माने तो अपनी जीवन
शैली या आदत में एकाएक बदलाव लाने की बजाय उसमें आंशिक बदलाव करें। जैसे – अगर आप
चाहते हैं कि मुझे फिट रहना है तो इसके लिए आपको अपने खानपान में बदलाव करना होगा
तथा नियमित रूप से व्यायाम करना होगा। अगर आप खूब नानवेज लेते हैं तो उसे अचानक
छोड़ने के बजाए उसकी मात्रा में धीरे धीरे कमी लाएँ। अगर आप व्यायाम के लिए जाना
चाहते हैं तो अचानक से पाँच किलोमीटर दौड़ लेने अथवा हार्ड एक्सरसाईज करने के बजाय
इसकी शुरुआत आंशिक रूप से करें। पहले कुछ दिन धीरे धीरे वाकिंग करें तद्पश्चात जब
आपका शरीर इसके लिए अभ्यस्त हो जाएं तो फिर अपनी गति बढ़ाते जाएँ। एक्सरसाईज के साथ
भी यही फॉर्मूला अपना सकते हैं।
शुरुआत आसान एवं सरल हो – जब कोई काम हम अपने हाथ में लेते हैं तो अचानक उसकी गहराई
में जाने का प्रयास करने लगते हैं और परिणाम यह होता है कि गहराई में जो मुश्किलें
होती है उसे देखकर हम घबरा जाते हैं। और फिर कदम पीछे हटा लेने के बारे में विचार
करने लगते हैं। किन्तु अगर तार्किकता से देखा जाए तो समस्या किसी कामों में नहीं
बल्कि असली समस्या तो काम करने के हमारे तरीकों में होती है। इसीलिए किसी भी काम
की शुरुआत एकदम आसानी से करें फिर जैसे जैसे समय बीतता जाएगा आप अपने कामों में
महारथ हासिल करते जाएंगे और बाद में जो कामों की गहराई में समस्या आएगी वह आपको
डराएगा नहीं बल्कि उसका सामना आप आसानी से कर लेंगे, क्योंकि उसका सामना करने
के लिए आपके पास पर्याप्त अनुभव व परिपक्क्वता आ जाती है। इसीलिए किसी भी काम की
शुरुआत जितना संभव हो सरल एवं आसानी से करने का प्रयास करें। आप प्रगति की रेस में
हमेशा आगे बढ़ते जाएंगे।
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