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Showing posts from December, 2017

वर्ष 2017 फ्लैश बैक

समय एक बहती हुई नदी की धारा के समान है। यह सिर्फ आगे बढ़ना जानता है ,   पीछे मुड़कर देखना इसकी फितरत में नहीं है। हममें से कई लोग समय - वेग के साथ आगे बढ़ना सीख लेते हैं और अपने जीवन में नित नई बुलंदियों को छूते जाते हैं ,   मगर कुछ लोग समय के पीछे पीछे उसका अनुकरण करते हुए चलते हैं और जीवन में सीमित सफलता ही प्राप्त कर पाते हैं, जबकि कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो जाने अनजाने में समय की चाल के विपरीत चलने लगते हैं और अपने जीवन में असफलता ,   निराशा ,   कुंठा और हताशा का ही वरन करते हैं। तो यह पूरी तरह आप पर निर्भर करता है की समय की चाल को आप किस तरह ग्रहण करते हैं। इसकी निरंतर आगे बढ़ती हुई चाल में आप कदम से कदम मिलाकर चल पाते हैं अथवा नहीं। मैं समय का सच्चा पारखी होने का दावा तो नहीं कर सकता हूँ परंतु समय की चाल के साथ पूरी तरह कदमताल करने का प्रयास अवश्य करता हूँ। इस क्रम में कभी सफल होता हूँ तो कभी असफल, मगर हार नहीं मानता क्योंकी जिस प्रकार पीछे मुड़कर देखना समय की फितरत में नहीं है उसी प्रकार हार मानना मेरी फितरत में नहीं हैं। अगर मैं 2017 पर सरसराती नजर डालकर आपको बताऊँ तो

अपना फ़र्ज

अपना फ़र्ज &&& @@@@ वसंत कुंज सोसाइटी में कृष्णजन्माष्टमी के अवसर पर एक भव्य सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया था। जिसमें मशहूर गायक अभिनव चंचल आ रहे थे। हर जगह उनका पोस्टर लगा दिया गया था। अभिनव चंचल गायन के क्षेत्र में एक नामी गरामी हस्ती माना जाता है। भक्ति संगीत के साथ साथ उन्होंने बॉलीवुड के कई प्रसिद्ध फिल्मी गानों में भी अपना स्वर दे चुका है। एक ओर युवावर्ग उनके फिल्मी गानों के मुरीद हैं तो वहीं दूसरी ओर उनके धार्मिक गीतों और भजनों ने वैसे लोगों को मंत्र – मुग्ध कर रखा है , जो जरा आध्यात्मिक किस्म के हैं। इसमें बच्चे से लेकर वृद्ध वर्ग तक के लोग शामिल हैं ।  रत्नावली आज तड़के सुबह उठ गई और नहा धोकर पूजा में बैठ गई । दामोदर प्रसाद को भी नींद नहीं आ रही थी किंतु, फिर भी बिस्तर पकड़े हुए थे । दो-चार दिनों से उनके घुटनों का दर्द जरा बढ़-सा गया था, और अन्दर ही अन्दर हल्की कंपकपी का अनुभव हो रहा था । थोड़ा चल फिर लेता तो सांस फूलने लगती । इसकी वजह कोई खास बीमारी तो नहीं थी किंतु, सबसे बड़ी बीमारी उसका बुढ़ापा था । दामोदर प्रसाद बहत्तर साल के हो चुके हैं, जो कर

10 points which must be enlisted in the new chapter of your life

"Hello! Still you are busy with your task?" Please, leave it  yaar for a couple of hours and glance at the impending New Year 2018.    If you are still in indecisiveness let me give you some hints to ponder of some specific points, which might add the new colors in your life.  Look, how I’m going to celebrate the New Year 2018. As I presume the New Year is just like a new chapter of your precious life and it’s all on you how you are going to write the new chapter of your life. For your cue, here I’m pasting some specific points, I would write the new chapter of my life with those. 1 Dream - Without dream life becomes super monotonous. So, I have lots of dreams for the New Year, 2018. 2. Challenge – I’m such a guy who never likes to remain in a comfort zone, so there must be some challenging tasks for the New Year. 3. Achievement – Like some other dreamers I too have some secret wish lists and s

कुछ यूँ ही

दुनिया में एक  घटना  अजीब की होती है जो वर्षों बीत जाने पर भी हमारी यादों की पटरी  से नहीं उतरती. दिन, महीने  कई  वर्ष गुजर जाने पर भी वह दिल के सबसे सुरक्षित भाग में संजीवनी  बूटी की तरह सदैव अपनी चिरकालीन हरियाली के साथ लहलहाती रहती है। वह घटना केवल हमारे और आपके साथ ही घटित नहीं होती बल्कि यह घटना तो हर किसी के साथ घटित होती है। कोई उसे सँजोकर अपने दिल की विरासत बना लेते हैं तो कोई उसे भूल जाने का भरपूर स्वांग रचते हैं ,  पर दिल की बात तो दिल ही जाने। मेरे साथ यह घटना उस वक्त घटी थी जब मैं 12वीं में पढ़ता था। उस वक्त तक मैं पूर्ण अक्षत था। अक्षत शब्द का दायरा बहुत बड़ा है इसीलिए इस शब्द का प्रयोग मैं यहाँ अपनी मानसिक अवस्था के संदर्भ में कर रहा हूँ। आप इसका गलत अर्थ मत लगा लेना। इस घटना को मैं अजीब इसीलिए भी कहता हूँ क्योंकि यह बिना तैयारी की अचानक घट जाती है और चिरंजीवी बनकर हमारे दिल के एक भाग को हमेशा हमेशा के लिए रिजर्व कर लेती है. उस दिन मेरे दोस्त कृष्णा के बड़े भाई के तिलक की रस्म थी । दोस्त का घर मेरे पड़ोस में ही था। मैं नियत समय पर शाम को छह बजे उसका घर पहुँच गया। उनके घ

व्यवस्थित रहें

संसार का हर व्यक्ति यही चाहता है उसका जीवन पूरी तरह से व्यवस्थित रहे। उनके सारे कार्य व्यस्थित तरीके से सम्पन्न हो जाए। कोई अंट-संट कोई झोल-झाल नहीं सब कुछ सिस्टमेटिक तरीके से हो। अगर हम ऐसी कामना करते हैं तो इसमें कोई बुराई नहीं है। ऐसा होना भी चाहिए। आखिर हर किसी को समान उन्नति करने का अधिकार है। ऐसा कर पाना हर किसी के वश की बात है। इसके लिए प्रतिदिन हमें इस दिशा में थोड़ा-थोड़ा प्रयास करने की जरूरत है। आईए बताते हैं कि आप यह प्रयास कैसे कर सकते हैं और अपने जीवन को व्यवस्थित तरीके से कैसे जी सकते हैं – आस-पास के परिवेश को व्यवस्थित करें – यह मानी हुई बात है कि आस-पास के परिवेश का हमारे दिमाग पर गहरा प्रभाव पड़ता है। यह बात सौ फीसदी सही है। इसे झुठलाया नहीं जा सकता। अगर आप अपने जीवन को व्यवस्थित करने की ओर कदम बढ़ाना चाहते हैं तो पहला कदम अपने आस-पास के परिवेश को व्यवस्थित करने की ओर बढ़ाएँ। कार्य वहीं से आरंभ कर दें अभी आप जहां बैठे या खड़े हैं। आस-पास नजर दौड़ाईए , उन चीजों को देखिए जो अगल-बगल में बेतरतीब पड़ी हुई है। उन्हें उठाईए और उनके उचित स्थानों में रखा दीजिए। बस पाँच मिनट क

वाह रे मानव !

“वाह रे मानव ! सभ्य मानव ! संवेदनशील मानव ! देख ली तेरी खोखली मानवता ! अब ये मत कहना कि अभी भी तुम्हारे पास ही इस प्लानेट का सर्वोच्च प्राणी कहलाने का ताज बना रहेगा । अगर जरा भी शर्म हया है तेरे अन्दर तो सर्वोच्चता के इस खोखले ताज को पावन गंगा में प्रवाहित कर हम जैसे करोडों निर्वस्त्र प्राणियों के संगत में पूर्ण निर्वस्त्र होकर चले आना मानवता का पाठ पढ़ने।” – यह कथन किस महापुरुष का है क्या आप बता सकते हैं ?.............................. छोड़ ही दीजिए, किताबों के पन्ने पलटते- पलटते आपकी सारी उम्र खप जाएगी फिर भी आप बता नहीं पाएंगे । पता है क्यों ? ....... क्योंकि यह कथन किसी महापुरुष का नहीं बल्कि उस कुत्ते का है जो 1 जनवरी को बेंगलोर की उसी गली में सुस्ता रहा था जहां सामने से नववर्ष का जश्न मनाकर लौट रही एक निर्दोष बाला को दो निकृष्ट कामान्ध सिरफिरे ने अपने कामुख पंजों से नोच खसोट कर अपने अंदर छिपे क्रूर पाश्विकता का परिचय दिया था । जल्द ही आपके समक्ष इस दृश्य पर अंदर से झकझोर देने वाली कहानी लेकर आऊंगा ।   

टालमटोल की आदत से मुक्ति पाएँ

      हर दिन हम सभी टालमटोल की समस्या से परेशान रहते हैं। कार्यालय का काम हो या घर का काम हम टालते जाते हैं और आगे चलकर यही काम हमारे लिए सरदर्द बन जाता है। फिर हम खुद को कोसने लगते हैं कि आखिर ये काम मैंने पहले ही क्यों नहीं निपटा दिया था। अगर ऐसी समस्या का सामना आप भी करते हैं तो घबराइए मत दुनिया में एकलौता आप ही नहीं हैं जिसके साथ यह समस्या है। दुनिया का हर व्यक्ति प्राय: ऐसी समस्या से अक्सर जूझते हैं। इस समस्या का परमानेंट कोई समाधान तो नहीं है किन्तु अपने प्रयासों द्वारा आप इसे काफी हद तक कम अवश्य कर सकते हैं।       इस समस्या से निपटना कोई सरल काम नहीं है परंतु , असम्भव भी नहीं है. आप अगर कुछ छोटी-छोटी चीजों को आत्मसात कर लेंगे तो इस समस्या से बहुत हद तक निजात मिल जाएगी. आइए तो जानते हैं इसके लिए आप क्या कर सकते हैं. आप ही नहीं इसका प्रयोग अपने जीवन में मैं खुद करता हूं.       कार्यों को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटें –   आपने भी नोटिस किया होगा कि अक्सर हम कामों का टालमटोल तभी करते हैं जब हमारे सामने कोई कठिन अथवा बडा काम होता है. छोटे-छोटे कामों को तो बड़ी आसानी से न